कुछ अनकही...😊😊



किसी दिन ढूँढोगे
तुम मुझको,
 होंगे उस दिन
आँखों में भी आँसू।

तुम लाख मन्नते कर लोगे।
बांध लो जाहे कितने धागें।
 हम ऐसे गुम हो जायेगे।
  न नजर कही हम आयेंगे।

 तुम एक झलक पाने को मेरी,
 उन गलियों में भी भटकोगे।
जहाँ मिला करते थे
 हम तुम नजरों ही नजरों में।

सूरज के छिपने का भी,
 रास्ता देखा करोगे तुम।
 जब चाँद देखना है मुझको
कह कर छत पर बुलाया करते थे।

 उस टपरी पर चाय
भी न पी पाओगे।
आँखे तो भर ही आयेगी,
जब छज्जा खाली पाओगें।

तुम बहुत कुछ ढूँढोगे
लेकिन कुछ न मिल पायेगा।
वो वक़्त कही ढल जायेगा
वो किस्सा कही खो जायेगा।

इतने सब भूलने पर भी
  मेरी यादों से
 कैसे निकल पाओगे,

हाँ,
तुम मुझको भुला न पाओगे
तुम मुझ को फिर न पा पाओगे।।

                                               - राहुल कुमार यादव

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