एक पत्र.....बेवज़ह के तेरे मेरे ख़्याल❤️❤️
सुनो❤️,
आज २७ दिसम्बर साल की सबसे लंबी रात है। बहुत दिनों से तुमको लिखना चाहता था, लेकिन समय ही नही मिल रहा था, वैसे भी तुम्हारे बिना दिन रात बहुत लंबे ही लगते हैं, लेकिन रोज तुमको सोचते-सोचते नींद अपने आगोश में ऐसे लेती है, जैसे- अमावस चाँद को निगल लेता है। लेकिन आज की रात तो नींद भी बगावत कर देगी, कहेगी रोज ही नखरे हैं तुम्हारे, जाओ आज खुद सो कर दिखाओ। वैसे तुमको सोचना भी बेख्याल से कम नही हैं, क्योंकि तुम हर बात के कहीं न कहीं आ ही जाते हो....
"यदि तुमको सोचना ही प्यार है, तो तुम्हारे ख्याल से प्यार है मुझे। नही देखा तुमको, न ही जानता तुम किसी लगती हो, कौन हो।।" पर सोचता हूँ तुम होते तो, तुम्हारे साथ, तुम्हारे हाथ को अपनी हथेलियों से कस कर पकड़ के पूर्णिमा के चांद के उस रोशनी में घूमता, और बैठता कहीं, तुम्हारे काँधे पर सिर टिका कर या आँचल में रखकर और उस रात को बोझिल नही होने देता। बैठकर तुमसे बातें करता करोड़ों-करोड़ों। वही सारी बातें करता जो सोचा है, हर समय हर लम्हा....
ऐसा होता शायद.....पर तुमको सामने देखकर कुछ बोल ही नही पाता, कह नही पाता वो सब बातें जो कहनी थी, वाक्य बिखर जाते हैं सरसों की तरह...लेकिन सुनता तुम्हारी सब बातें, क्या तुमने भी कभी मेरे लिए ऐसे ख्याल सोचें होंगे। फिर सोचता हूँ, तुमने नही भी सोचा होगा तब भी तुम्हारे साथ बैठकर एकटक तुम्हें निहारता और लिखता एक महाकाव्य तुम्हारी-मेरी....
पर मेरी ये बातें आपको दुःख पहुँचाती हैं न! मुझे पता है कई बार मैं कुछ ऐसा बोल देता हूँ... जिसका बाद में मुझे ही अफ़सोस होता है और वो बातें आपको कई बार दुःख पहुँचाती हैं.. मुझे ये भी पता है कि आप इन सब बातों को एक सिरे से नकार देगी; पर फिर भी मैं वही बात कहूंगा....। ना कह देने या किसी बात को नकार देने से सच्चाई नही बदल जाती।
मैं करूँ भी तो क्या.? किससे कहूँ? इस दुनिया से? क्या इस दुनिया का असली रंग आपको नही पता..?ये दुनिया पहले तो आपका राज़ जानने के लिए आपके साथ जुड़ती है, और जब आपकी सारी तहक़ीकात कर लेती हैं, तब अकेले छोड़ देती है.......एक दूसरी प्रजाति ये भी होती है; जो आपका दर्द सुनकर कुछ पल की सहानुभूति तो जरूर दे देती है...पर आगे चलकर वही आपको कमजोर कहके हंसी भी उड़ाती है।।
ऐसे में क्या फायदा अपना दर्द सबको सुनाकर...बेहतर है कि हम दोनों ही एक-दूसरे से कहें अपना अपना....मैं तो अक्सर कह देता हूँ आपसे, भले ही आप अकेले सब कुछ सह लेती हैं और मुझसे कभी नहीं जताती।। पर आदमी जब किसी के साथ मुस्कराता है तो उसके साथ रोने को भी तैयार रहना चाहिए न.....वरना उस मुस्कुराहट का कर्ज़ कैसे अदा हो पायेगा और बस इसीलिए मैं आपको अपना हर दुःख और दर्द सुना देता हूँ बिना ये सोचे कि ये बातें आपके हृदय को भी पीड़ा पहुँचा रही हैं।।
इसीलिए मैं चाहें कितना भी आपको दुःखी कर दूँ... पर आख़िरकार आपके पास ही तो आऊंगा और आप एक बार फिर मुझे माफ़ कर देंगी किसी मासूम बच्चे की तरह.....
इस हवा को मैंने छू लिया है, जब ये हवा तुम्हारे गालों को छू कर जाये, तो समझना मैंने छुआ है।,और जब तुम्हारे सलीके से सेट हुए बालों को खराब कर जाये, तो गुस्सा मत होना।
ऐसे में क्या फायदा अपना दर्द सबको सुनाकर...बेहतर है कि हम दोनों ही एक-दूसरे से कहें अपना अपना....मैं तो अक्सर कह देता हूँ आपसे, भले ही आप अकेले सब कुछ सह लेती हैं और मुझसे कभी नहीं जताती।। पर आदमी जब किसी के साथ मुस्कराता है तो उसके साथ रोने को भी तैयार रहना चाहिए न.....वरना उस मुस्कुराहट का कर्ज़ कैसे अदा हो पायेगा और बस इसीलिए मैं आपको अपना हर दुःख और दर्द सुना देता हूँ बिना ये सोचे कि ये बातें आपके हृदय को भी पीड़ा पहुँचा रही हैं।।
मैं क्या करूँ....आप किसी नदी के पानी सा शांत है और मैं किसी झरने के कलरव(आवाज़)-सा अशांत, अधीर भी, वहीं आप बेहद शांत, सौम्य और गम्भीर हैं, जबकि मेरा मन कई बार अपनी ही कस्तूरी ढूंढ़ते-ढूंढ़ते मृग के समान बर्ताव करने लगता है।
हम दोनों में बहुत-सी भिन्नताएं होंगी, कई जगह मतभेद भी होंगे..शायद पर जो नही बदला; वो है हमारा अनंत 'प्रेम'....जो आदि से लेकर अंत तक अनंत ही रहा है और निश्चित रूप से उसके बाद भी यथावत ही रहेगा, चाहें क्यों न वह ठंड से भरे सुदूर स्थान देहरादून ही चले जाएं, ताप व दाब का कोई प्रभाव नही होगा.....इसीलिए मैं चाहें कितना भी आपको दुःखी कर दूँ... पर आख़िरकार आपके पास ही तो आऊंगा और आप एक बार फिर मुझे माफ़ कर देंगी किसी मासूम बच्चे की तरह.....
सुनो❤️....
मैं तुम्हारे शहर के पास से गुजरूँगा तो इतना सोचते ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान फैल जाती हैं। मैं नजरें उठा के देखता हूँ,कही कोई और तो नही देख रहा। और खुद की ही बात पर हँस कर रह जाता हूँ। दिल और दिमाग मे घुमड़-घुमड़ के ही, इन बादलों के जैसे बस तुम ही आ रहे हो। फ़ोन को खोला ,उंगलियाँ फ़ोन की स्क्रीन पर थरथरा के चली कुछ लिखने को। फिर न जानें क्यो इन्होंने चलना मुनासिब नही समझा। ये ठंडी हवा जो चल रही है,क्या वो तुम्हारे शहर से भी होकर गुजर रही होगी।
सुनो😍,इस हवा को मैंने छू लिया है, जब ये हवा तुम्हारे गालों को छू कर जाये, तो समझना मैंने छुआ है।,और जब तुम्हारे सलीके से सेट हुए बालों को खराब कर जाये, तो गुस्सा मत होना।
पता है...तुम्हारे बाल कोई छुए तो तुमको पसंद नही होंगे। बस ये समझ लेना।मैंने तुम्हारे सिर को प्यार से सहला दिया है और ये बारिश मेरे को अपनी फुसारों से भीगो रही है। इस बारिश के पानी मे मैंने अपना इश्क का रंग घोल के भेजा है। जब ये बारिश तुमको भिगोए ,तो तुम पर मेरे इश्क़ का सुरूर भी चढ़ जाए। तुमको पसंद है ना बारिश में भीगना, तो ऐसे भीगना की ,मेरे इश्क़ का बुखार तुम पर से उतरे न।
उफ्फ ....🙈
कितनी बातें कहनी है तुमसे, इन फिज़ाओं के साथ उन पैग़ामों को भेज रहा हूं। पढ़ लेना उन सब को इस मौसम के बदलते रंग में.....चलो छोड़ो।।
अभी तो बहुत बातें हैं लिखूंगा तो रामायण की तरह महाकाव्य लिख दूँगा, शब्दों के क्षीरसागर प्रवाह में हैं यहाँ, इतना लिख दिया पता ही नही चला...क्या करूँ पहली बार लिखा हूँ न, शब्द सीमा का कोई परिमाप ही नही मालूम...।
ख़ैर...ढ़ेर सारा प्रेम भेज रहा हूँ, सदैव आनंदित व प्रसन्नचित रहिये, उन्नति करिये, सार्थक प्रेम की ज्योति को प्रज्वलित करते रहिए....💐💐😊😊
उफ्फ ....🙈
कितनी बातें कहनी है तुमसे, इन फिज़ाओं के साथ उन पैग़ामों को भेज रहा हूं। पढ़ लेना उन सब को इस मौसम के बदलते रंग में.....चलो छोड़ो।।
अभी तो बहुत बातें हैं लिखूंगा तो रामायण की तरह महाकाव्य लिख दूँगा, शब्दों के क्षीरसागर प्रवाह में हैं यहाँ, इतना लिख दिया पता ही नही चला...क्या करूँ पहली बार लिखा हूँ न, शब्द सीमा का कोई परिमाप ही नही मालूम...।
ख़ैर...ढ़ेर सारा प्रेम भेज रहा हूँ, सदैव आनंदित व प्रसन्नचित रहिये, उन्नति करिये, सार्थक प्रेम की ज्योति को प्रज्वलित करते रहिए....💐💐😊😊
- तुम्हारा राहुल❤️
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