मैं मिलूंगा...❤️
मैं मिलूंगा!
मैं मिलूंगा तुम्हे, वहां, जहां नीरवता ही नीरवता हो! जहां की अथाह शांति संसार के किसी भी शोर से बाधित न हो सके! जहाँ की सृजनता किसी भी बाधा से प्रभावित न हो सके!
मैं वहां मिलूंगा तुम्हे, जहां तुम्हे इतनी सुरक्षा का आभान हो, जितना एक शिशु को होता है,उसकी माता की गोद में, अथवा जितना प्रकृतिप्रेमियों को होता है, किसी सुंदर तरु की छाया में!
मैं अक्सर रहता हूँ ऐसी जगहों पर जहां के सन्नाटे कभी काटने को दौड़ते हैं, तो कभी बन जाते हैं अनेकों सृजनों की प्रेरणा भी! और तब मुझे समझ आता है कि इनका काटने को दौड़ना मेरे लिए कितना हितकर हो जाता है!
मैं मिलूंगा, ऐसे निर्जन स्थानों में, जहाँ चहक के नाम पर हो खग विहगों का कोलाहल, गायन के नाम पर हो कोयल की कूक और मिठास के नाम पर हो कल कल बहती किसी नदी का जल!
कभी खोजना मुझे ऐसे स्थान पर, जहाँ दुख, उदासी और ईर्ष्या जैसे विकारों के लिए कोई जगह न हो! जहाँ मानवीय संवेदनाओं को ,आवश्यकताओं से ऊपर रखा जाता हो और जहां प्रेम जैसी भावनाओं को नीची निगाह से न देखा जाता हो!
मैं मिलूंगा उसी जगह, उसी स्थान और उसी भूमि पर, जहाँ की वायु में बस प्रेम बहता हो, जहाँ के जल में स्वाद हो मानवता के मूल्यों का और जहाँ के वातावरण में केवल हर्ष गुंजित होता हो!
मैं मिलूंगा ऐसे ही किसी स्थान पर! हो सके तो खोजना मुझे!..........
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