मुझे डर लगता है..💕
नदियों के किनारों से,
क्योंकि उसके किनारे
बिखरी रहती है
किसी की आस्था
किसी की पूजा के फूल,
किसी के मन्नत
से बंधे पत्र
अपने गंतव्य तक
पहुँचने के लिए
ढूँढते हुए रास्ता।
और अतृप्त हुई
किसी की आत्मा
किसी की आत्मा
रोती है,
बैठी हुई
उन किनारों पर।
उन अनकही इच्छाओं के तृप्त
न होने का मलाल
करती वो नदियाँ,
अपने शोर में
सब बहा ले जाना चाहती हैं,
लेकिन छूट जाते हैं
किनारों से लगे
वो विश्वास की अरदास
मुझे डर लगता है
उस विश्वास का अविश्वास में
बदल जाना
और भटकते रहना
जीवन भर
पूर्णता पाने के लिए।।
मुझे डर लगता है
उस लक्ष्य के लिए
जिसको पाने के लिए मैंने अपना
सर्वस्व न्योछावर, समर्पण किया,
फिर भी वो मरीचिका की
भांति मेरे समक्ष खड़ा होकर
अट्टहास करे....जो आभासी, अस्तित्वहीन है।।
राहुल कुमार यादव
अत्यंत सुंदर 🔥
ReplyDeleteहृदयतल से आपको आभार💕
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