अनुभूति..





हथेलियां खुली रखो, कोई रुकना चाहे तो थाम लो, 
कोई जाना चाहे तो चला जाए…

कस के पकड़ोगे तो छोड़ने में तकलीफ़ होगी,

निशान बच जाएंगे खरोचों की तरह....

छूट गई महक हवा को जहरीला बना देगी,

उम्मीदों का बोझ आहत करेगा आत्मा को
याद, नज़र को धुंधला करेगी…

मुक्त रहो आनंद लो जीवन का हथेली खुली रखो …!!



 

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