मुझे पाओगी ठीक तुम वहाँ....💗💘



सुनो प्रिये मुझे ढूंढना हो तो अपने,
हथेलियों की रेखाओं में मत ढूंढना।
मत ढूंढना अपने किस्मत के लेखा में।
मैं नहीं मिलूंगा वहाँ।
मैं नही करता यकीन उन पे,
इस चक्कर मे मत रहना
या हो सकता है
तुम ठगी जाओ किसी पण्डित के द्वारा।।
मुझे ढूंढना हो तो ढूंढना
अपने सफ़ेद बालों में,
अपने सूखे पड़े गालों में।।
मुझे पाओगी तुम ठीक वहाँ ,
जहाँ तुम्हारे माथे पे सिकन पड़ता है।
तुम अपने ललाट के चिन्ताओं की लकीरों में
ढूंढ लेना मैं मिलूंगा तुम्हारे साथ प्रिये वहाँ।।
और ढूंढना अपनी आंखों के निचे की झूरीयो में।
मैं हमेशा मिलूंगा वहाँ।।
मुझे ढूंढना तुम अपने अस्त होते
यौवन की निशानियों में ।
मैं हस्ते हुए मिलूँगा तुम्हे ठीक वैसे ही थामे,
जैसे थामा करता था, तुम्हें यौवन के सूर्योदय में।
मुझे पाना हो तो अपने ढीले पड़े वक्ष स्थलों में ढूंढना
और ढूंढना अपने कमर के चारो तरफ पड़े वलयों में।
और उन सबसे ऊपर अपने मन में पड़े अनुभवों के गांठ को खोलना मैं उस गांठ से निकलूंगा।।
मैं तुम्हारे अब तक के सारे बसन्तो का ,
जवाब देता मिलूँगा वहाँ।।
और जब थक कर कहीं बैठोगी ना प्रिये ,
मिलूँगा मैं तुम्हारी थकी हुई हथेलियों को थामे
वहीं साथ में मुस्कुराता हुआ।
तुम एक बार फिरसे ऊर्जा से भर जाओगी,
मेरे हांथो को पकड़ कर
और पा लोगी अपने अंदर और साथ में मुझे ,
और आ जायेगा उस पतझड़ में बसन्त फिरसे ।
बस मेरे तुम्हारे साथ होने से।
इस लिए फिर से एक बार कहता हूँ प्रिये ,
मुझे मत ढूंढना किस्मत की लकीरों में,
मेरा पुरुषार्थ तुम्हें इस बात की इजाज़त नही देता।।




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